जन्म लिया,
लिया माँ ने
जो नाम
कहलाया वो
जीवन भर बाप,
जाति बन गयी,
धर्म बन गया,
युक्ति बिना
सब भाषित है,
सब कुछ क्यों
परिभाषित है ?
यूँ चल
यूँ बोल
यूँ खेल
यूँ उठ
यूँ बैठ
यूँ सो
यूँ जाग
सब कुछ ज्यों
आदेशित है,
सब कुछ क्यों
परिभाषित है ?
तुम्हे यही तो
पढना है
ऐसा अपने को
गढ़ना है,
पोल पे चमड़ा
मंढना है
यह बनना है
यह ना बनना है
सब कुछ दूजों से
शासित है,
सब कुछ क्यों
परिभाषित है ?
(क्रमश:) : आगामी पंक्तियाँ जब 'मूड' आएगा लिखूंगा और पोस्ट करूँगा)
लिया माँ ने
जो नाम
कहलाया वो
जीवन भर बाप,
जाति बन गयी,
धर्म बन गया,
युक्ति बिना
सब भाषित है,
सब कुछ क्यों
परिभाषित है ?
यूँ चल
यूँ बोल
यूँ खेल
यूँ उठ
यूँ बैठ
यूँ सो
यूँ जाग
सब कुछ ज्यों
आदेशित है,
सब कुछ क्यों
परिभाषित है ?
तुम्हे यही तो
पढना है
ऐसा अपने को
गढ़ना है,
पोल पे चमड़ा
मंढना है
यह बनना है
यह ना बनना है
सब कुछ दूजों से
शासित है,
सब कुछ क्यों
परिभाषित है ?
(क्रमश:) : आगामी पंक्तियाँ जब 'मूड' आएगा लिखूंगा और पोस्ट करूँगा)
यूँ चल
ReplyDeleteयूँ बोल
यूँ खेल
यूँ उठ
यूँ बैठ
यूँ सो
यूँ जाग
सब कुछ ज्यों
आदेशित है,
सब कुछ क्यों
परिभाषित है ?
Great question !....I'm also looking for the right answer .
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