Thursday, May 20, 2010

नासूर....

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पाला था
जख्म
ऐसा कि
नासूर
बन गया
रिसने लगा
मवाद
सुकूं
मफ्रूर
हो गया,
इलाज-ए-जख्म में
ज़ज्बा-ए-ताखीर था
शुमार,
तहम्मुल था के
कुछ और
हमें
तह्व्युर
हो गया....

(नासूर=पुराना घाव जिसका इलाज बहुत मुश्किल होता है जो भरता है और फिर हरा होता है, मफ्रूर=भागा हुआ/absconding , ताखीर= ढीलाई/lethargy , तहम्मुल=सहिष्णुता,तह्व्युर=अचम्भा, विस्मय.)

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