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लबा लब
भरा था
एक सर,
उछलती
कूदती
मण्डूकी
चंचल,
चली आई
बाहर
बेपरवाह
हो कर
ध्यानी बगुला
नज़र
एकटक,
चोंच में
लपक कर
गया था
गटक,
अति उच्छ्रंखलता
होती है
खोटी,
बचाती
विनाश से
सजगता
छोटी..
बहुत सुंदर ।
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