Thursday, August 9, 2012

बस बीज ही है.....

# # #
बीज बोया
फसल
लहलहायी,
क्रम की
परिणति
पत्र,पुष्प,फल नहीं
बस बीज ही है.....

शाख, कोंपल
फूल पत्ते
आवरण
बस आवरण ,
जो समाया
सब में प्रतिपल
बीज है
बस बीज ही है...

युग संवत्सर
दिवस घड़ी क्षण
बस समय के
माप ही हैं,
कल की कोई
नहीं है हस्ती,
आज है
बस आज ही है...

बूँद बनी
बादल कभी तो,
कभी समंदर
ओंस भी है,
हिम बनी
नदिया बनी वो,
बूँद है
बस बूँद ही है..

चलती राहें
या चरण चलते
कहने को
मंजिल को छूते,
है सफ़र अनवरत
यह तो ,
प्रगति भी
बस गति ही है...

No comments:

Post a Comment