Wednesday, January 25, 2012

होले से चले आता है कौन..

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ख्वाबों में होले से चले आता है कौन,
बेक़रार दिल को यूँ समझाता है कौन.

उदास है ये ज़मीं ग़मज़दा आस्मां,
बिना बदरा बिजुरी चमकाता है कौन.

तआज्जुब करूँ या इजहारे शुक्रिया,
शदफ के दिल में गौहर उगाता है कौन.

आँखें कहती और चुप रहती है जुबां
अबोले असआर मीठे सुनाता है कौन.

कहने को वो वो है और मैं होता हूँ मैं,
साँसे मुझ में उसकी बसाता है कौन.

सुकूं देता हैं एहसास महज़ तेरे होने का,
खनक तेरी ह़र लम्हे सुना जाता है कौन.

ह़र धुन में तेरे नगमे गाये जाता हूँ मैं,
सुरों में हर्फ़-ऐ-नाम तेरे सजाता है कौन.

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