Wednesday, March 28, 2012

सह्प्रतिपक्ष...(अनेकांत सीरीज)

# # #
अनेकान्त का
सुन्दर सूत्र
सह-प्रतिपक्ष...

नहीं है प्रयाप्त
युगल होना मात्र,
विरोधी युगलों का
अस्तित्व है
समस्त प्रकृति में,
समस्त व्यवस्था में..

है यदि ज्ञान तो अज्ञान भी
दर्शन है यदि तो अदर्शन भी
है सुख तो दुःख भी
मूर्छा है तो जागरण भी
है यदि जीवन तो मृत्यु भी
शुभ है तो अशुभ भी
है उच्च तो निम्न भी
अन्तराय है तो निरन्तराय भी....

जीवन चलने का है
आधार
परस्पर विरोधी युगल,
समापन यदि इनका
समापन जीवन का..
आवश्यक है दोनों
पक्ष और प्रतिपक्ष,
निकम्मा है
यदि एकान्तिक हो पक्ष,
अप्रभावी है
यदि हो अकेला प्रतिपक्ष,
दोनों के योग में
निहित
जीवन का साफल्य...

मत देखो
सत्य को
एक ही दृष्टि से,
यदि देखते हो उसे
अस्तित्व की दृष्टि से
देखो ना उसे
नास्तित्व दृष्टि से भी
पाओगे तभी
सत्य की समग्रता,
स्वाभाविक है
एक ही पदार्थ के विषय में
नाना विरोधी
धारणाएं,
स्वीकृति के साथ साथ
चाहिए चलनी
अस्वीकृति भी...

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बिंदु बिंदु विचार :सहास्तित्व विरोधी हितों का...
(यह सरल कहानी उपर्युक्त प्रस्तुति की पूरक है)

# एक कुम्हार..दो बेटियाँ. एक का विवाह किसान के साथ...दूसरी का कुम्हार के साथ......एक ही गाँव में. दोनों ही खुश.

# कुम्हार गया मिलने अपनी बेटियों से.

# पहले पहूंचा किसान के घर ब्याही बेटी के पास....देखा उसे उदास...पूछ बैठा--बिटिया ! उदास क्यों ?

# कहा बेटी ने---खेती का वक़्त आ गया...बारिश नहीं...आसमां में कहीं भी बदल नहीं आ रहे नज़र...बारिश नहीं होगी तो होगी कितनी मुश्किल....आप करें ना भगवान से अर्ज़ बारिश कराये..

# कुम्हार चला वहां से और पहूंचा दूसरी बेटी के घर......... इस परिवार का पेशा माटी के बर्तन बनाना..

# बेटी ने कहा---और तो सब ठीक ठाक, बाबा. बस अलाव पक रहा है..बारिश का मौसम....अगर शुरू हो गयी बारिश तो तबाही..भगवान से करें ना आप अर्ज़....जब तक आव ना पक जाये...ना हो बारिश.

# कुम्हार ने सोचा...क्या करूँ...कौन स़ी अर्ज़ करूँ...दोनों के हित परस्पर विरोधी है....कहीं भी गलत नहीं है...एक का हित है बारिश होने में...एक का बारिश ना होने में..



# यही है परस्पर विरोधी युगल की मिसाल...सह अस्तित्व है ना इनका....:)

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