दावत में उनके मेरी जगह ग़ज़ल गयी.
आशिक के हर शे’र पे माशूका जल-जल गयी.
उनकी नज़रों का असर था के फुसुन्तराज़ी
बीमार को लगा कि तवियत संभाल गयी.
बड़े अरमान से चलाये थे हल जमीं पे
बारिश ना हुई तो सोचा मेरी फसल गयी.
तू है खुदा कांटो का जानते सब कोई
तेरी हर बात जाणे क्यूँ रह-ए-अदल गयी.
कर के क़त्ल तेरा निकला था मैं महफ़िल से
देखा तुझे फिर क्यूँ खबर-ए-क़त्ल गयी.
बसाया है उसने घर संग रकीब के
बातें उडी उडी स़ी मैदान-ए-जदल गयी.
नाम लेने में रुक क्यों जाता हूँ मैं
मुझसे रिश्ते की बातें बन के मसल गयी.
फुसुन्ताराज़ी=जादूगरी
अदल=न्याय
जदल=युद्ध
मसल=कहावत.
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