(क्रोसवर्ड बुक-शॉप में एक पुस्तक हाथ में आ गई, जिसमें विदुर जी की कुछ उक्तियाँ संकलित थी..अच्छी लगी...लिख लाया..आज वह स्लिप हाथ लग गई, थोड़े से शब्द देकर वह उक्ति आपसे शेयर कर रहा हूँ.)
# # #
जो हो
कुपित
अचानक,
दर्शाए
हर्ष
अकारण,
होता
स्वभाव
यह
कुटिल का,
मेघ सम
भटके जो
संग पवन के,
साम्य
होता है
यह
नर
जटिल का...
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जो हो
कुपित
अचानक,
दर्शाए
हर्ष
अकारण,
होता
स्वभाव
यह
कुटिल का,
मेघ सम
भटके जो
संग पवन के,
साम्य
होता है
यह
नर
जटिल का...
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