मुल्ला नसीरुद्दीन का कोई गुनाह नहीं था, मगर पोलिस ने राह चलते उन्हें पकड़ लिया, जैसा कि कभी कभी हो जाता है, शायद हवलदार से कोई अदावत रही हो. मुल्ला को अदालत में पेश किया गया. जज साहिब ने पूछा," मुल्ला बताओ हमें, जब तुम्हे हवलदार ने पकड़ा, उसने तुम्हे क्या क्या कहा ?"
मुल्ला बोला,"हुज़ूर मुआफ करें, क्या मैं वह गन्दी भाषा इस इजलास में बोल सकता हूँ, जो कि हवलदार ने मुझ से बोली थी. क्या आपको ख़राब नहीं लगेगा. हो सकता है इस से आपको सदमा लगे."
जज साहिब बोले, "भद्दे लफ़्ज़ों और गन्दी भाषा को छोड़ कर बताओ उस ने क्या कहा ?"
मुल्ला नसीरुद्दीन बहुत ही मासूमियत से और मायूसी से बोले, " हुज़ूर, तब यूँ समझिये हवलदार ने कुछ भी नहीं कहा."
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:) masumyit se bhara sach....
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