Friday, May 20, 2011

चौधर का डंडा : बिंदु बिंदु विचार...


आपसी समझ में अगर उदारता औरे गहराई नहीं हो तो बड़ा उपद्रव हो सकता है. निहित स्वार्थ तो नाना प्रकार के उपाय करते हैं अच्छी चीजों को डिस्टरब करने के लिए. बिना विचारे और स्पष्ट किये किसी की बात को मान लेना ऐसी ही एक कमजोरी है, अहम् के वशीभूत हो कर मुद्दे से हट कर अप्रोच ओढ़ लेना एक दूसरी कमजोरी. वैसे तो यह लिस्ट लम्बी हो सकती है आज बस इन पर ही थोड़ा बिंदु बिंदु विचार कर लेते हैं.

# कुत्तों और गीदड़ों ने सांझा खेती करने की सोची. पार्टनरशिप फ़ाइनल हो गयी.

# सभी जानवरों को इस नये गठजोड़ को देख कर बहुत अचम्भा हुआ.

# लोमड़ों में था एक काना लोमड. बहुत ही धूर्त और चालाक......खतरनाक भी.

# काने लोमड ने सोचा, "बोने दो सांझी खेती, मैं सब का बंटाढार कर दूंगा...देखना क्या गुल खिलाऊंगा."
#गीदड़ों और कुत्तों ने मिल कर जमीन की जुताई की... बुवाई की. रखवाली का काम कुत्तों ने संभाला, गुडाई और सिंचाई का जिम्मा गीदड़ों ने लिया.

# सब काम स्मूथली हो रहे थे. अच्छा खासा कोर्डिनेशन था.

# फसल लहलहा उठी. अपनी कामयाबी पर कुत्ते और गीदड़ मौज मनाते. काना लोमड बहुत जलता.

# जब फसल पक कर तैयार हो गयी, तो एक रात काने लोमड ने खेतों में घूस कर बहुत सी पकी बालियाँ चुरा ळी.

#अगले दिन चोरी की वारदात को लेकर दोनों पक्षों में मान मुटाव हो गया, थोड़ी कहा सुनी भी हो गयी.

#उसी दिन काना लोमड अकेले में कुत्तों के मुखिया से मिला और अपनी वाक् पटुता से उसने कुत्तों के मुखियाजी को कन्विंस कर दिया की चोरी की वारदात को अंजाम गीदड़ों ने दिया है. और सलाह भी दे डाली, "चलो जो भी हुआ उसे बिसरा दो, आखिर रिश्ता दोस्ती का है, उस पर धब्बा नहीं लगना चाहिए."

#कुत्तों का मुखिया अपने पॉइंट प्रूव करने लगा, "लोमड भाई, कुछ भी कहो, किया तो उन्होंने बहुत गलत काम ही. ऐसे थोड़ा ही छोड़ा जा सकता है, उन्हें सबक तो सीखाना होगा." लोमड़ का काम बन गया था.

#काना लोमड़ कुत्ताधीश के पास खिसक आया और कान में फुसफुसा कर अपनी योजना बताने लगा."

#कुत्तों के मुखिया ने सुना और ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए बोला, लोमड़ साहब क्या तरकीब बताई है आपने.....ठीक है इसे इम्प्लेमेन्ट करंगे."

#कहते हैं कुत्तों की एक सीक्रेट मीटिंग हुई और एक्शन प्लान की आउट लाइन बना ली गयी.

फसल कटी. अनाज की ढेरी भी लग गयी.

# इस शुभ अवसर पर कुत्ते और गीदड़ भी हाज़िर थे. ....और काना लोमड़ भी अपने 'एक्स्ट्रा कोंस्टीट्यूसनल सेंटर' सो अज्युम कर चुका था. दोनों ही पक्षों को उसने अपने चुगलखोरी स्किल से भरमाने की थान ली थी.

# इस बात पर बहस होने लगी थी की उपज का बंटवारा कैसे किया जाय ?

# मौका देख लोमड़ ने अपना सुझाव दे डाला. कुत्तों का मुखिया तो है ही, क्यों ना गीदड़ भी अपने मुखिया को चुन ले.

# कुत्तों के मुखिया ने कहा, जो भी गीदड़ों का मुखिया फैसला लेगा कुत्तों को भी मंज़ूर होगा.

# आम सहमति से मोटे गीदड़ को गीदड़ों का चौधरी चुन लिया गया. मोटा गीदड़ नया पद मिलने पर फूल कर और कुप्पा हो गया था. घिसे हुए राजनीतिबाज़ की तरह लोमड़ ने भी मोटे को कोंगरेचुलेट किया. कुत्ता ग्रुप ने भी हार्दिक बधाईयाँ दी....जैसा कि होता है.

# तभी कुत्तों में एक मोटा सा डंडा मंगवाया. मोटा गीदड़ याने नया चौधरी घबरा गया...उसे लगा उसकी सहमत आ गयी.

# चौधरी गीदड़ ने चैन की सांस ली जब प्रोपोजल अनाउंस हुआ कि, चौधरी साहब की पूंछ में यह डंडा बांध दिया जायेगा. चौधरी साहब, धेरी में अपनी पूंछ से इस डंडे को पटकेंगे और तदनुसार बंटवारा तय हो जायेगा.

# चौधरी ने एक दो ढ़ेरी पर डंडा पटका, कुत्तों ने हूटिंग शुरू कर दी, "अन्याय अन्याय ! घोर अन्याय !....और सब कुत्ते भों भों करते चौधरी के पीछे दौड़े.
# आगे आगे मोटा गीदड़ याने चौधरी...और पीछे पीछे भोंकते हुए कुत्ते...मोटा गीदड़ अपनी मांद की तरफ भागा और उसके संकड़े मुंह में घुस गया..मगर डंडा अटक गया...
# गीदड़ी शोर शराबा सुन कर चिल्लाई यह क्या हो रहा है ?

# काने लोमड़ ने एक्सपर्ट कमेन्ट मारे, " भाभी चौधरी भैय्या भीतर कैसे घुसे...चौधर का डंडा अड़ा है."

# और लोमड़ अपनी सफलता पर इतरा रहा था.

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