Saturday, February 11, 2012

अब फना मुझे हो जाना है

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बचना किसको है ऐ मौला
अब फना मुझे हो जाना है
अपनी हस्ती को मिटा सजन
मोहे तुझ में ही मिल जाना है.....

तू मुझ में है मैं तुझ में हूँ
किस बात में तुझ से मैं कम हूँ ,
मैले तन मन को उजला कर
मोहे तुम से मिलने जाना है....

इर्ष्या विद्वेष को जीत सकूँ
भय लोभ से खुद को रीत सकूँ,
मोह और प्रेम का भेद जान
मोहे तुम से प्रीत लगाना है.....

बिरहा में मैं हूँ बिलख रहा,
बस राह तिहारी निरख रहा,
मिल जा आकर के तू जानां
मैं राधा हूँ तू कान्हा है.....

अपनी हस्ती को मिटा सजन
मोहे तुझ में ही मिल जाना है.

('उठ जाग मुसाफिर भोर भई ' की तर्ज़ पर गुनगुना के देखिएगा :))

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