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शर्करा और लवण
होते हैं
दोनों
एक रंग,
देखेंगे जब भी
नयन
दिखेंगे
दोनों ही
श्वेत....
गिराओ
जमीन पर
मिठास,
रंग सफ़ेद
उसका भी,
किन्तु
चली आएगी
चींटियाँ
बेशुमार...
छिडको
भूमि पर
'खरास',
वर्ण श्वेत
उसका भी,
किन्तु
होगा नहीं
कोई भी
आसपास....
चक्षु और जिव्हा,
दृष्टि और स्वाद,
देखने
और
परखने हैं,
धर्म और निर्णय
अलग अलग...
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