Friday, April 3, 2009

समय जा रहा .....पल - पल








बहती सरिता करती

कल कलकल कल
कहती तुझ से
चल चल….चल चल
जूझ जूझ कर
जीत रे बन्दे
मत टल…. मत टल
समय जा रहा
पल पल…..पल पल

सूरज की किरणे यूँ कहती
मत जल मत जल
निखार स्वयं को
परिश्रम कर कर
कपट आडंबर से
तू जग को
मत छल…..मत छल….
समय जा रहा
पल पल…..पल पल…..

विघ्न भरे है
विश्व अनन्त में
अपने नयन
मत मल…..मत मल
अडिग रहा कर
सत्य मार्ग पर
मत गल……मत गल
समय जा रहा
पल पल…….पल पल…..

भटक रहा तू
जल थल…..जल थल
पा ना सका तू
अब तक ना हल
ठहर जाग
भटके रही !
हर सांचे में
मत ढल…..मत ढल
समय जा रहा
पल पल……पल पल…….

क्यों यह रुदन है
फल फल…..फल फल
दे कर्म कारण में
बल बल…….बल बल
भ्रमित राह पर
मत चल…..मत चल
समय जा रहा
पल पल…….पल पल……..

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