दिन आज के जन्म हुआ था
राजकुमार वर्धमान का
माँ त्रिशला पिता सिद्धार्थ
उत्सव जन्म महान का
तीन दशक तक महावीर ने
संसार धर्म निभाया था
पत्नी यशोदा पुत्री प्रियदर्शना
संग जीवन क्रम रचाया था
खोज सत्य की करने हेतु
सब कुछ त्यागा था उस वीर ने
बारह वर्ष करके तप्स्चार्य
ज्ञान केवल्य पाया महावीर ने
तीस वर्ष तक महावीर ने
स्वानुभव चिंतन का प्रसार किया
जन जन में पॉँच महावर्तों
और अनेकान्तवाद का प्रचार किया
पवपुरी में कार्तिक अमावस्या को
देह उन्होंने त्यागी थी
रोशन करने रात अँधेरी
असंख्य दीप-शिखाएं जागी थी
पाया था मोक्ष महावीर ने
पद तीर्थंकर पाया था
जैन संस्कारों के परचम को
भारत क्षेत्र में फहराया था.
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