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विराम चिन्हों के
प्रयोग में
पाया था
कमज़ोर
खुद को,
और
बैठा था
व्याकरण की
कक्षा में
बन कर विद्यार्थी,
हो गयी थी
अनायास ही
वो
कक्षा जीवन की
मेरे लिए,
सोचने लगा था
मैं
हम तो हैं
बस
अल्प विराम (,)
अथवा
अर्ध विराम, (;)
क्यों करते हैं
दावा हम
एक भ्रमित सा
पूर्ण विराम (.)
होने का,
क्यों होते हैं
भयभीत
आशंका
या
सम्भावना से
कि
कुछ और भी
लिखा जाएगा
आगे
हम से,
नहीं हैं
हम
विस्मयादिबोधक (!)
क्योंकि
है नहीं
हम में
बालसुलभ
सरलता
सहजता
निश्छलता
और
निष्कपटता,
हो जाते हैं
क्यों हम
उद्धरण चिन्ह (" ")
कभी कभी..
बचने हेतु
अपनी बात को
कहने से /
ना झेलने के लिए
जोखिम
उसके
परिणामों की/
अभाव में
मूल सोचों के /
अपनाते हुए
स्वभाव-
नकारने का
अवसर
सुरक्षित रखने का
इत्यादि इत्यादि...,
पाते हैं हम
कभी कभी तो
स्वयं को
कोष्टक में [( )]
स्पष्ट
करने हेतु
दूसरों को,
ले आते हैं
हम
कभी कभी
हाशिये पर
औरों को
खुद को
साबित करने के
क्रम में,
और
अधिकांशत
बन जाते हैं
प्रश्न चिन्ह ( ?)
अपने ही पैदा किये
अनुतरित
सवालों के लिए
या
अपने ही बनाये
जवाबों के लिए..
विराम चिन्हों के
प्रयोग में
पाया था
कमज़ोर
खुद को,
और
बैठा था
व्याकरण की
कक्षा में
बन कर विद्यार्थी,
हो गयी थी
अनायास ही
वो
कक्षा जीवन की
मेरे लिए,
सोचने लगा था
मैं
हम तो हैं
बस
अल्प विराम (,)
अथवा
अर्ध विराम, (;)
क्यों करते हैं
दावा हम
एक भ्रमित सा
पूर्ण विराम (.)
होने का,
क्यों होते हैं
भयभीत
आशंका
या
सम्भावना से
कि
कुछ और भी
लिखा जाएगा
आगे
हम से,
नहीं हैं
हम
विस्मयादिबोधक (!)
क्योंकि
है नहीं
हम में
बालसुलभ
सरलता
सहजता
निश्छलता
और
निष्कपटता,
हो जाते हैं
क्यों हम
उद्धरण चिन्ह (" ")
कभी कभी..
बचने हेतु
अपनी बात को
कहने से /
ना झेलने के लिए
जोखिम
उसके
परिणामों की/
अभाव में
मूल सोचों के /
अपनाते हुए
स्वभाव-
नकारने का
अवसर
सुरक्षित रखने का
इत्यादि इत्यादि...,
पाते हैं हम
कभी कभी तो
स्वयं को
कोष्टक में [( )]
स्पष्ट
करने हेतु
दूसरों को,
ले आते हैं
हम
कभी कभी
हाशिये पर
औरों को
खुद को
साबित करने के
क्रम में,
और
अधिकांशत
बन जाते हैं
प्रश्न चिन्ह ( ?)
अपने ही पैदा किये
अनुतरित
सवालों के लिए
या
अपने ही बनाये
जवाबों के लिए..