Saturday, April 16, 2011

बिंदु बिंदु विचार : लेणा एक ना देणा दोय

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हमारा कोई भला करे तो हमें उसका यथाशक्ति प्रतिदान करना चाहिए. किन्तु कभी कभी ऐसा भी देखा गया है कि कुछ मिलने पर लालच बढ़ जाता है, भलाई करने के वक़्त जो मनोभाव थे उनकी जगह स्वार्थपरता और असुरक्षा के भाव हावी होने लगते है और जाने अनजाने मौके का फायदा उठाने का ज़ज्बा उभर आता है, रोज़मर्रा कि ज़िन्दगी में हम सब ऐसे तुज़ुर्बों से दो चार होते रहते हैं, जब भी मिलते हैं ऐसी बातों पर टाइम पास करने के लिए चर्चा विचर्चा भी करते रहते हैं...फिर ऐसे तुज़ुर्बों से दो चार होते रहते हैं. आज की कहानी ऐसे ही एक तुज़ुर्बे को बयान करेगी.

# कौवे और कछुए में खूब छनती थी. दोनों गहरे दोस्त थे.

# एक दिन कौवा एक चिड़ीमार के जाल में फंस गया.

# अपने दोस्त को फंसे देख कर कछुआ चिड़ीमार से बोला, "चिड़ीमार ! मेरे दोस्त को छोड़ दो, बदले में मैं तुम्हे एक मोती दूंगा."

# चिड़ीमार बोला, "पहले तुम मुझे मोती दो, तभी तुम्हारे इस कांव कांव करने वाले काले दोस्त को छोडूंगा.

# कछुए ने झील में डुबकी लगायी और एक सुन्दर सा मोती ला कर चिड़ीमार की खिदमत में पेश कर दिया.

# कीमती मोती देख कर चिड़ीमार के दिल में लालच आ गया. वह बोला, "तुम मुझे इसकी जोड़ी का मोती ला कर दो, तब मैं तुम्हारे दोस्त को आज़ाद करूँगा."

# कछुए ने बहुत तमीज से कहा, "चिड़ीमार साहेब! मेरा भरोसा करो. मैं आपको दूसरा मोती ज़रूर ला दूंगा, मगर पहले मेरे दोस्त को छोड़ो."

# चिड़ीमार ने कौवे को छोड़ दिया. कछुए ने भी डील के मुताबिक एक मोती और लाकर चिड़ीमार को दे दिया.

# कहते हैं ना, लालच का कोई भी आखिर नहीं होता। चिड़ीमार के संग भी यही हुआ. वह बोला, "यह पहले वाले मोती की जोड़ी का नहीं है, थोड़ा छोटा है, मुझे दूसरा मोती लाकर दो."

# कछुए को चिड़ीमार के लालच का अंदाज़ा हो गया था. वह बोला, " मुझे पहले वाला मोती दो, तभी तो मैं उसकी जोड़ी का मोती ला सकूँगा."

# चिड़ीमार ने मोती दे दिया. कछुआ झील में घुसा और गायब हो गया. चिड़ीमार इंतज़ार में बैठा था की कछुआ अब आये, अब आये. मगर कछुए के आने के कोई आसार ही नज़र नहीं आ रहे थे.

# चिड़ीमार ने कछुए को आवाज़ लगायी, "धोखेबाज़ कहाँ छुप गया, वादाखिलाफी कर रहा है. आ बाहिर, तुझे सबक सिखाता हूँ...दे मेरा मोती."

# कछुए ने झील के भीतर से ही जवाब दिया, "खुदा करे सो होय, लेणा एक ना देणा दोय."

# पेड़ पर बैठा कौवा बोला, "सुना नहीं ? मेरे दोस्त के कहने का मतलब है की तू एक मोती लेता नहीं और मैं दो मोती देता नहीं."

# चिड़ीमार अपना सा मुंह ले कर वहां से खिसियाता हुआ खिसक लिया.

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