...
पीपल की
घनी छाँव
मिल गयी
क्रोधी सूरज
क्या कर लेगा ?
घड़ी दो घड़ी
तप लेगा वह
तप कर फिर वह
शीतल होगा.........
क्यों बने
कठपुतली
समय की
सुख दुःख
अपनी राह
चलेंगे
सत्य कि ज्योति
जलाये रखना
स्वतः
समस्त कारज
संवरेंगे......
जब जब
धरती प्यासी होगी
मेघ गगन का
सागर होगा
जब जब बढेगा
कुटुंब कंस का
किसना आकर
हाज़िर होगा.......
क्यों डिगता
विवेक तुम्हारा
विश्वाश स्वयम में
कायम रखना
दृढ निश्चय यदि
रहे तुम्हारा
होगा साकार
तुम्हारा सपना.........
पीपल की
घनी छाँव
मिल गयी
क्रोधी सूरज
क्या कर लेगा ?
घड़ी दो घड़ी
तप लेगा वह
तप कर फिर वह
शीतल होगा.........
क्यों बने
कठपुतली
समय की
सुख दुःख
अपनी राह
चलेंगे
सत्य कि ज्योति
जलाये रखना
स्वतः
समस्त कारज
संवरेंगे......
जब जब
धरती प्यासी होगी
मेघ गगन का
सागर होगा
जब जब बढेगा
कुटुंब कंस का
किसना आकर
हाज़िर होगा.......
क्यों डिगता
विवेक तुम्हारा
विश्वाश स्वयम में
कायम रखना
दृढ निश्चय यदि
रहे तुम्हारा
होगा साकार
तुम्हारा सपना.........
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