Saturday, November 7, 2009

कुछ छोटी कवितायें .....

(१)
कर डालो निर्मूल....

ऋण अगन दुश्मन का
शेष अवशेष तनिक
बढेगा अपरम्पार
कर डालो निर्मूल सम्पूर्ण
यही उचित व्यवहार.....

(दुश्मन तभी समाप्त होता है जब दिल से दुश्मनी ख़त्म होती है)

(२)

नथ औ कुर्सी

फर्क बस इतना है
नथ औ कुर्सी में
उसको उतारा जाता है
इससे उतारा जाता है...........

(३)

कोमल जमीं-नाजुक आसमान

ना बरसा
अंतर के घन को
नयनों की राह से
पिघल ना जाये कहीं
यह कोमल जमीं
यह नाजुक आसमां.......

(४)

स्पर्श

...
स्पर्श तुम्हारा पाकर
तार वीणा के जी गए
संगीत की सुरा को
हम रों रों से पी गए........

(५)

नौटंकी का साधु

नौटंकी में
बने 'गुप्ता'
साधु एक
टनटना नंदन,
फूंकी बीडी
जमाई दारू
जोर से बोले
अलख निरंजन !

(६)
उम्मीद--वस्ल

उम्मीद-ऐ-वस्ल
दूरवालों की
हुआ करती है....
महसूस-ओ-एहसास का
सब खेल है सारा
अपनी हर इक साँस
तेरी पनाहों में
हुआ करती है......

(७)

भय

छूने सितारे
हुआ था अग्रसर
भय था गहन
मिली ना धरा
ना ही गगन.
_____________________

मुल्ला : अटक गया......
गुप्ता : ना रे लटक गया.....

_______________________

(८)

मत खेल

मत खेल
जोश में
लहराती
लरज़ती
जुल्फों से मेरी
होश में रह
ऐ ! जानेमन
यह विग है
उतर ना जाये कहीं.......

(९)

बतीसी

ना गूंजी थी
हंसी उनकी
खामोशी थी
फिजाओं में
खोयी-खोयी सी
अदाएं थी
बोसा था
कोमल-कोमल सा...

बिसरा गए थे वो
लगाना
बतीसी अपनी.....








No comments:

Post a Comment