Monday, November 9, 2009

मनोकामना : मेरी भावना

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जीवन के चमन में ऐ यारों
खुशियों के फूल खिलाएं हम
हरियाली चहुँ और रहे
कोई गुलशन एक लगायें हम.

क्या काम जलन घृणा का है
खेल यह सब तृष्णा का है
इस तिमिर को रोशन कर दे जो
उस प्रेम के दीप जलाएं हम.

जीवन के चमन में ऐ यारों
खुशियों के फूल खिलाएं हम
हरियाली चहुँ और रहे
कोई गुलशन एक लगायें हम.

दर्द अन्य का समझ सकें
परहर्ष को अपना बूझ सकें
संवेदनशील बनें हम सब
ऐसा मानस अपनाएं हम.

जीवन के चमन में ऐ यारों
खुशियों के फूल खिलाएं हम
हरियाली चहुँ और रहे
कोई गुलशन एक लगायें हम.

यशगान पिपासा हो ना हमें
पद की भी लिप्सा हो ना हमें
निज कर्म करें फल ना सोचें
गीता दर्शन ले आयें हम.

जीवन के चमन में ऐ यारों
खुशियों के फूल खिलाएं हम
हरियाली चहुँ और रहे
कोई गुलशन एक लगायें हम.

मैत्री की प्रबल भावना हो
सौहार्द स्नेह प्रभावना हो
मिलजुल के रहें आनन्द करे
ऐसा जीवन जी पायें हम.

जीवन के चमन में ऐ यारों
खुशियों के फूल खिलाएं हम
हरियाली चहुँ और रहे
कोई गुलशन एक लगायें हम.

वो लेता है देता ही नहीं
कृतज्ञ कभी होता ही नहीं
अवसर उसने तो दिया हमें
बस बात यही कर पायें हम .

जीवन के चमन में ऐ यारों
खुशियों के फूल खिलाएं हम
हरियाली चहुँ और रहे
कोई गुलशन एक लगायें हम.

मिथ्या आडम्बर को छोडें
अस्तित्व किसी का ना तोडें
हृदय भाव सम्मान करें
दुश्मन को गले लगायें हम.

जीवन के चमन में ऐ यारों
खुशियों के फूल खिलाएं हम
हरियाली चहुँ और रहे
कोई गुलशन एक लगायें हम.

दंश नहीं देना हम को
लेकिन फुफकार ज़रूरी है
आक्रामकता है एक कायरता
प्रभो! क्षमा वीर बन पायें हम .

जीवन के चमन में ऐ यारों
खुशियों के फूल खिलाएं हम
हरियाली चहुँ और रहे
कोई गुलशन एक लगायें हम.

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