.........
बिना सीखने
से ही
आ जाता है
हमें
करना
'लीकलकोलिये'
जो होते हैं
जड़
वर्णमाला की.......
कहतें हैं
निरर्थक
इनको
जो
समझते हैं
सृष्टि को
बिना मूल की
अमरबेल.....
बिना सीखने
से ही
आ जाता है
हमें
करना
'लीकलकोलिये'
जो होते हैं
जड़
वर्णमाला की.......
कहतें हैं
निरर्थक
इनको
जो
समझते हैं
सृष्टि को
बिना मूल की
अमरबेल.....
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