आखिर उसने कहा : "नसरू आज तो बकवास बन्द करो." मगर नसरुदीन ना सुने.....वह तो अपनी फलसफाना चर्चा में मशगूल...भाषण देता रहा...तक़रीर करता गया..प्रेयसी बेचारी ने कई दफा कोशिश की मगर मुल्ला कि चोंच बन्द ही ना हो. ह़र बार हारी बेचारी...आखिर में मुआमला झगडे तक पहुँच गया...और झगडा होते ही अध्यात्म ख़त्म..मुल्ला अपनी औकात पर आ गया....बहुत ही एक्साईट हो कर मुल्ला बोला, " जो मैं कहे जा रहा हूँ, वह क्या बकवास है ? क्या तुम मुझे अव्वल नंबर का गधा समझती हो ? "
प्रेयसी मिमियाई, " गधा तो नहीं समझती तुम को, तभी तो कहती हूँ भगवान के लिए रेंकना बन्द करो..और आदमी की तरह बीहेव करो "
कौन बताये मुल्ला को कि आदमी कैसे बीहेव करता है और गधा कैसे काश ऐसा भी कोई अध्यात्म होता.
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