फिरौज़ी,
केसरिया,
गुलाबी,
सुनहरा,
चांदी वाला,
ऐसे ही नये रंग
देख रहे थे ना
हम बादलों में,
और
किलकारियों के साथ
मना रहे थे
उत्सव
ह़र एक नये रंग के लिए...
कहा था तुम ने
या कि मैने
या दोनों ने संग संग,
अरे बादल नहीं,
ये तो
आईने मंडरा रहे हैं
आकाश में
जिनमें देख रहे हैं
हम
अपनी खुशियों के अक्स
चलते हुए
झूमते गाते
हाथों में हाथ लिए...
(दीवानी सीरिज से)
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