(Mere Dost Mulla Nasruddin ki Peshkash)
कौन वो अवधूत है
बातें जिसकी अनुभूत है
अरे मिथ्या का वह दूत है
वो विनेश राजपूत है.......
पद्य जिसके सुखांत है
ना जाने क्या चक्रांत है
मनुज वो दुर्दांत है
दिखता संभ्रांत है
उलझा हुआ जो सूत है
वो विनेश राजपूत है...........
जिसके मुंह में ना दांत है
पेट में ना आंत है
वृद्ध, अशक्त, क्लांत है
रहता वह अशांत है
बिगडा उसका भूत है
वो विनेश राजपूत है.........
कोई जात है ना पांत है
बनता कुशवाहा कान्त है
कहाँ उस का प्रान्त है
उत्तरी या सीमान्त है
टेढी हर करतूत है
वो विनेश राजपूत है........
शब्द उसके मर्मांत है
झूठ सब वृतांत है
ओछापन चर्मांत है
संग उसका दुखांत है
किस मां का वो कपूत है
वो विनेश राजपूत है........
ज्ञानी वह चुडांत है
क्यों फिर भयाक्रांत है
जब नहीं दिग्भ्रांत है
तब क्यों नहीं प्रशांत है
लगता जो पराभूत है
वो विनेश राजपूत है........
नारकीय=नरक में जाने के योग्य, शेष शब्दों के लिए कृपया शब्दकोष की सहायता लें......
बातें जिसकी अनुभूत है
अरे मिथ्या का वह दूत है
वो विनेश राजपूत है.......
पद्य जिसके सुखांत है
ना जाने क्या चक्रांत है
मनुज वो दुर्दांत है
दिखता संभ्रांत है
उलझा हुआ जो सूत है
वो विनेश राजपूत है...........
जिसके मुंह में ना दांत है
पेट में ना आंत है
वृद्ध, अशक्त, क्लांत है
रहता वह अशांत है
बिगडा उसका भूत है
वो विनेश राजपूत है.........
कोई जात है ना पांत है
बनता कुशवाहा कान्त है
कहाँ उस का प्रान्त है
उत्तरी या सीमान्त है
टेढी हर करतूत है
वो विनेश राजपूत है........
शब्द उसके मर्मांत है
झूठ सब वृतांत है
ओछापन चर्मांत है
संग उसका दुखांत है
किस मां का वो कपूत है
वो विनेश राजपूत है........
ज्ञानी वह चुडांत है
क्यों फिर भयाक्रांत है
जब नहीं दिग्भ्रांत है
तब क्यों नहीं प्रशांत है
लगता जो पराभूत है
वो विनेश राजपूत है........
नारकीय=नरक में जाने के योग्य, शेष शब्दों के लिए कृपया शब्दकोष की सहायता लें......