Saturday, July 25, 2009

जीतना मानसिक तनाव को.

बहुत ही संक्रमण कल से गुजर रहें है हम. वैशविकरन,शहरीकरण,बाज़ार-अर्थव्यवस्था,आपसी जानी अनजानी प्रतिस्पर्धा,मानवीयमूल्‍यों में बदलाव, प्रदूषण इत्यादि ने हमारी मानसिक शांति हर ली है. हमारा मानसिक तनाव हमें दे रहा है: अनिद्रा,चिंता,डिप्रेशन आदि मानसिक रोग. बुद्धि(इंटेलेक्ट) और सूचना की आवश्यकता से अधिक उपलब्धि मिल कर जहाँ हमें लाभ पहुँचा रही है वहीं मानवता पर बहुत से कहर भी ढा रही है. क्या हम इन सब से व्यतीत हो कर पलायन कर लें ? नहीं, हमें इन सब के साथ जीना है, हार नहीं माननी है. कुछ ऐसा करना है जिससे साँप भी मार जाए और लाठी भी नहीं टूटे. हमें सकारात्मक सोच रखते हुए खुद को इन सब असंगतियों और विसंगतियों के बीच खुद को बुलंद करना है, कुछ उपाय सुझाने का प्रयास है यह आलेख.

मानसिक तनाव स्नायुतन्त्र पर अत्यधिक दवाब की स्रॅस्टी करते हैं, और फलतः वे अपना काम ठीक से नहीं कर पाते. कैसे को इनकी कार्यप्रणाली में सुधार ?

1) पोषण तत्वों से भरपूर भोजन : भोजन में खनिज और विटामिन्स की उपस्थिति स्नायूतांत्रों को पुष्ट करती है. भोजन में एंटी-ऑक्सिडेंट्स होंगे तो दिमाग़ और देह मानसिक आघात का मुकाबला और आसानी से कर सकेंगे. हमारा आहार संतुलित होना चाहिए. सेव, बादाम, आँवला,अखरोट, पीशता, काजू,सरपगंधा,ब्राहमी, अश्वगंधा आदि में एंटी-ऑक्सिडेंट्स पाए जातें हैं. चिकितस्क की सलाह से मल्टिविटमिन एंटी-ऑक्सिडेंट औषधियां भी ली जा सकती है
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2) व्यायाम: शरीर और मान को सुडौल करतें है. ऑक्सिजन की अधिक मात्रा उपलब्ध करते हैं. फूर्ती . और पॉज़िटिव विचारों को बढ़ावा मिलता है.

3) शीघ्र सोना और शीघ्र जागना.

4) निरपेक्ष भाव : विपरीत प्रस्थितियों में स्वयं की मानसिकता को प्रभावित ना होने देने का अभ्यास. बस अब्ज़र्वर बन को देखना.

5) एकाग्रता: ध्यान द्वारा.

6) शक्ति का सन्चय: व्यर्थ बोलने या अन्या व्यर्थ क्रियाकलापों से दूर रहने से शक्ति का सन्चय होता है. Observing silence (मौन). Slow but steady गति से कार्य करना.

सुझाए गये मार्ग केवल इंगित मात्रा है, खोजी को अपनी खोज कर अपने लिए मार्ग बनाना होगा. यह आलेख मात्र एकछोटी सी कंदील है.

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