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हो जाता है जो
पुरअसर
हो जाता वही
बेअसर,
होने को असर
चाहिए ना
सतत इच्छा
थोड़ी कसर.
नाम इसी का
दिया है
किसीने
प्रेम का अधूरापन,
इसी में रहता है
जिंदा
हर लम्हे
हमारा बचपन.
मासूमियत
रहती है कायम
बचा हो गर कुछ
गवेषण को,
इसीलिए प्रेम में
जीया जाता है
क्षण क्षण को...
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