Sunday, June 6, 2010

शून्यता...(दीवानी सीरिज)

फिलोसोफी में Phd की थी उसने, कभी कभी अन्दाज़ उसका बहोत ही फलसफाना हो जाता था। उस दिन भी क्रिसमस डे था, एक अरसे बाद हम मिले थे उस मगरीफी (western) मुल्क में,जुदाई के एहसासों का असर था और कुछ मेरे साथ होने का... अचानक उस पर पड़ गया था दौरा फलसफे का॥कहने लगी थी:

गणित ज़िन्दगी की (दीवानी रचित)

# # #
"जब एक में से
एक को
घटाया जाता है
तो
बचता है
शून्य
जिसे
हर कोई
देखता और
समझता है.

आज अच्छा
लग रहा है
मगर
अपने
खाली लम्हों में
लगता है
कुछ ऐसा कि
मेरी ज़िन्दगी में से
आहिस्ता आहिस्ता
ज़िन्दगी को
निकाल
लिया गया है
और
मैं हो गई हूँ
तब्दील
एक सिफर में
एक शून्य में.

मगर इस
हादसे को
किसी ने
देखा नहीं
किसी ने
जाना नहीं
किसी ने भी
समझना
चाहा नहीं।"

प्रत्युत्तर : अनावरण होने का (By Vinesh)

उसके एहसासों को महसूस किया मैने, इतनी संजीदा थी उसकी बात कि उसे टाल देना मुनासिब नहीं था, बहुत दिन बाद उससे मेरी मुलाकात मेरे लिए एक जश्न जैसी थी जिसमें फिलोसोफी को कम और हंसी ख़ुशी से उन 'दुर्लभ' लम्हों को भर देने का ज़ज्बा जियादाह था...मगर मुझे भी कुछ पलों के लिए उस जैसे 'मूड' में आना पड़ा। मैने जो पढ़ा, सीखा और देखा था उसे इस हवाले से कुछ इस तरहा कहा था:

कैसी शून्यता...(विनेश द्वारा)

मेरी अज़ीज़ दोस्त !
जिन्दगी की
गणित
शायद
वैसी नहीं
जैसा
तुमने समझा है
जाना है,
देखा है
पहचाना है.

यह सूनापन
उपजा है
तुम्हारे
बहिर देखते रहने की
ना कि
जिन्दगी से जिन्दगी के
निकल जाने की,
फिर भी
मान लेता हूँ कि
हो गई हो
तुम सिफर
या
आ पहुंची हो तुम
शून्य तक...

किसी भी नयी
शुरुआत के लिए
सारे पुरातन से
पा कर मुक्ति
होना पड़ता है
निपट रिक्त
ताकि
हो सके चमत्कार,
बन जाये
कब्र पुरातन की
गर्भस्थल
नवीन का,
प्रिये !
ऐसे होता है
नव्प्ररम्भ
ना कि संशोधन प्राचीन का.
ईशा के शरीर का
सलीब पर
करना
वरण मृत्यु का
और
दिवस त्रय पश्चात
मृत्तोथान उनका.........
प्रतीक है
अनंत ज्ञान
प्राप्ति का
क्रूसारोपित होना है
मृत्यु
मृत्तोथान है
जन्म
और तीन दिवस है
शून्यता
जब वे
न तो जीवित थे
और
न ही मृतक.
ये तीन(दिवस)
प्रतीक है
देह से
मुक्ति के
चित्त से
मुक्ति के
एवम
ह्रदय से
मुक्ति के....
और
उसके पश्चात है
पुनर्जन्म
अनावरण
'होने' का.

उसने सुना था
बहुत ही
ध्यान से
मुझ को
और
कहा था:
"चलो सुगरकेंडी खाएं
और
शांति से हाथ मिलाएं."
चल दिए थे
हम
हाथों में
हाथ लिए
एक-दूजे का,
देते हुए उर्जा
एक-दूजे को.

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शब्दार्थ :
क्रुसारोपित होना=crucification
मृत्तोथान=resurrection.



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