Saturday, June 5, 2010

राम नाम है महामंत्र.....(

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राम
नाम
प्रभु
एवम्
स्वयं का
सेतु...
बीजाक्षर
'रा'
प्रयुक्त
तत्त्व
'अग्नि' के
हेतु.

'रा' का
उच्चारण
यदि
किया
जाये
बारम्बार
उत्पन्न हो
उत्तरोतर
उर्जा अपार.
यन्त्र हो
क्रमशः
गतिमान
'रा' रा'
ध्वनि
तदर्थ
प्रतिमान.

'र' का
मिलन हो
जब 'आ' से
युक्त
हो जाये
आदित्य
प्रकाश से.

'म' अक्षर
प्रतीक
चन्द्र का
शीतल
सौम्य
एवम्
हिमकर का.

राम में
पाए
उर्जा,
गति को
दे क्षमता,
करे
सुशीतल
मति को.

(मित्रों....राम नाम पर यह रचना थोड़ी अलग सी है...अध्यात्मिक है, meditative है...आशा है आप मेरे अनुरोध पर इस पर गौर करेंगे.)

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