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चाहा था
जिन्होंने
तहे
दिल से,
कसमें
खायी थी
साथ
निबाहने की,
समझाये थे
जिन्होंने
रिश्ते
जन्म-जन्मान्तर के,
वक़्त आखरी
किसी ने
दो आंसू थे
टपकाए
चुप रहा था
कोई,
ली थी
सांस चैन की
किसी ने,
और
कहा था
किसी ने
देह का
खोल ही तो
जल रहा है,
आत्मा तो
अजर
अमर है,
तू
तब भी
मेरे
करीब था
आज भी
मेरे
करीब है,
जो है
समाया
मुझ में,
उसे
कहना
'अलविदा'
कितना
अजीब है....
चाहा था
जिन्होंने
तहे
दिल से,
कसमें
खायी थी
साथ
निबाहने की,
समझाये थे
जिन्होंने
रिश्ते
जन्म-जन्मान्तर के,
वक़्त आखरी
किसी ने
दो आंसू थे
टपकाए
चुप रहा था
कोई,
ली थी
सांस चैन की
किसी ने,
और
कहा था
किसी ने
देह का
खोल ही तो
जल रहा है,
आत्मा तो
अजर
अमर है,
तू
तब भी
मेरे
करीब था
आज भी
मेरे
करीब है,
जो है
समाया
मुझ में,
उसे
कहना
'अलविदा'
कितना
अजीब है....
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