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मत जला
दीया
भरी दोपहर में
पगली .....!
प्रेम भी
थक जायेगा
सांझ ढलने से
पहले......
जानता हूँ
कर रखा है
अस्तव्यस्त
तुमको भी
विरह वेदना ने
किन्तु
तुम और
यह दीया
दोनों ही
हो एक से...
बिना बंद हुए
सूरज के नयन
आ नहीं पायेगा
दीवाना शलभ....
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