Saturday, February 27, 2010

छोटे छोटे एहसास....

उदासियाँ.....

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घेर लेती है
उदासियाँ
किसी के
ना होने के
एहसास से
यह क्या हुआ
मुझको
पहले तो ऐसा
नहीं था.....
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खिलौना
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पा लेना
किसीको
खुद को
खोना है,
तस्सवुर
उनका
भुलाने को
खिलौना है........
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तरंग....

# # #
फाल्गुनी
भंग,
तेरा मेरा
संग,
अंग
अंग
तरंग,
मानो
बाजे
जलतरंग....
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नज़रें दूसरों की

छीन लाते हैं
ज़माने से
चन्द लम्हे
खुद के
खातिर,
देख
नज़रें
दूसरों की
कब तक
जीयें ?
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hawa aur
jamin kee
baat ko
Kya janun yaaron !
udta hun to
lagta hai
chal raha hun main....
aur
chalte hue
kadam
uda le
jate hain.....

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उजड़े चमन में....

यह कैसा
मंज़र है
यारों !
अमन में
तूफाँ है,
तूफाँ है
अमन में,
कैसे खिल गए
ये फूल
इस उजड़े
चमन में......



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