Sunday, February 21, 2010

पदचाप ( दिन-रात : तृतीय प्रस्तुति )

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तिमिर तरु है
तारे जिस पर
फल जैसे है
है लागे,
सुन
पदचाप
मावस मालन की
चाँद चौरवा
भागे.......

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