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Baaten Vinesh Ki
Sunday, February 21, 2010
पदचाप ( दिन-रात : तृतीय प्रस्तुति )
# # #
तिमिर तरु है
तारे जिस पर
फल जैसे है
है लागे,
सुन
पदचाप
मावस मालन की
चाँद चौरवा
भागे.......
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होली.......
एक चिंतन : एक प्रार्थना
छोटे छोटे एहसास....
ज्ञान 'स्व' का....
बारिश.......
तरंग....
पदचाप ( दिन-रात : तृतीय प्रस्तुति )
मेवाड़ की रानी पद्मिनी : एक शौर्य गाथा
बसंत.....
आंधी......
मुल्ला नसरुद्दीन का 'उल्टा' सफ़र........
आगोश....
अस्तव्यस्त
मुल्ला और उसके दोस्त रेलवे स्टेशन पर....
मुल्ला नसरुद्दीन कि आदत : अपनी टांग ऊपर रखना
प्रेम : एक विधि आत्म साधना की
खैरात मायनों की....
हो संशय निर्मूल मेरा........
ज़रुरत क्या होगी ?
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Padhta hun, padhata hun, khud ki khoz ke safar men hun.
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