(होली के स्नेहिल पर्व पर सभी मित्रों को रंगारंग शुभकामनायें )
# # #
धधक रही
होली
मुल्क में,
रंग हुए
बदरंग,
कौन
धमाल की
टेर लगावे,
किसके
हृदय उमंग ?
ढफ टंग गए
चौपालों में,
कोने पड़े
मृदंग;
मर्यादा को
लील रहा है,
अब खाली
हुड़दंग.
दिल
खोल कर
गले मिलें
हम,
बहे प्रेम
प्रति अंग,
खाएं खिलाएं
हंसें गायें
हम,
मिलजुल
सारे संग.....
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धधक रही
होली
मुल्क में,
रंग हुए
बदरंग,
कौन
धमाल की
टेर लगावे,
किसके
हृदय उमंग ?
ढफ टंग गए
चौपालों में,
कोने पड़े
मृदंग;
मर्यादा को
लील रहा है,
अब खाली
हुड़दंग.
दिल
खोल कर
गले मिलें
हम,
बहे प्रेम
प्रति अंग,
खाएं खिलाएं
हंसें गायें
हम,
मिलजुल
सारे संग.....
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