हम में से बहुतों की यह आदत हो जाती है जिसे आम भाषा में कहते हैं, "अपनी टांग ऊपर रखना." मामूली सी मामूली बात को जस्टिफाई करना, चाहे वह साफ तौर पर गलत ही क्यों ना हो. जो भी गलत हुआ है उसका ठीकरा दूसरे के सिर पर फोड़ना, अपने को हमेशा पाक साफ़ बताना. अपनी गतिविधियों को शब्दजाल से सही साबित करना. ऐसे लोग अक्सर दूसरों को 'undermine' करते हैं, अपने को 'assertive' या 'attitude' वाला साबित करते हैं. दुसरे बेवकूफ नहीं होते, अक्सर समझ कर भी चुप्पी साध लेते हैं और situation का मज़ा लेते हैं या यह सोच लेते हैं कि हमारा क्या जाता है,जीने दो इसे भ्रम में इसको. कभी कभी तो ऐसे लोग आपके मुंह में शब्द डाल देते हैं....अपने गलत कामों को आपके द्वारा प्रेरित बता देते हैं. कुछ गलत होता है तो कह डालते है हम तो पहले से ही जानते थे इत्यादि. हम में से कमोबेश सभी ऐसे लोगों/हरक़तों से दो चार होते हैं. हो सकता है हम भी ऐसे ही हों कहीं कहीं.
मेरे जिगरी दोस्त मुल्ला नसरुद्दीन भी बहुत बड़े कलाकार है. अपने आपको हमेशा पूर्ण पारंगत सिद्द्ध करने में उन्हें मज़ा आता है. बरसात का मौसम है, बारिश हो रही है, मुल्ला बिना छाते सड़क पर चल रहे हैं, भीग रहे हैं. कोई पूछता है, "अमाँ मुल्लाछाता नहीं ले रखा है, भींग रहे हो
जुखाम हो जायेगा." मुल्ला कहेंगे, " भैय्या, हमें तो सावन कि फुहारें सुकून देती है, हम तो इनका लुत्फ़ लेने के मकसद से छाता घर पर रख कर बाहर आये हैं." मुल्ला के बेटे का दाखिला नहीं हो पाया 'मेडिकल' में, मुल्ला कहते हैं , "जी हमें तो एलॉपथी पर कभी भरोसा ही नहीं रहा, हम तो अपने फजलू को यूनानी इलाज का इल्म कराएँगे, उसे हमदर्द मदरसे में तालीम दिलाएंगे, ताकि कौम की खिदमत किफायती और साइड एफ्फेक्ट ना पैदा करने वाली दवाओं से कर सके." ऐसी ही कई मिसालें मुल्ला के बर्ताव में आप नोटिस कर सकते हैं.
आ गया एक किस्सा ख़याल में. मुल्ला ने एक दफा साइकिल खरीदी, पैडल लगाना सीख लिया था किसी तरह मुल्ला ने, मगर चढ़ना उतरना साइकिल पर नहीं आता था उन्हें. किसी ने मुल्ला को सवार कर दिया साइकिल पर, मुल्ला पैडल लगाते लगाते लगाने लगे चक्कर पूरे बाज़ार के, गांव के.....आखिर कब तक पैडल मारते....थक से गए, साइकिल गिर पड़ी और उसके साथ मुल्ला भी. मुल्ला ने मुस्कुराते हुए धूल झाड़ी खड़े होकर.....साइकिल को भी उठाया अंगडाई मोड़ते हुए...लगे देखने आसपास के लोगों को.....चेहरे पर एक अजीब किस्म के घमंड का एहसास ओढे हुए.....
किसी ने पूछा, "मुल्ला गिर पड़े, ख़याल से उतरा करो..तुमको चोट लग सकती है...साइकिल को भी नुक्सान हो सकता है."
"अमां अपने तो उतरने का स्टाइल है यह.", मुल्ला ने जवाब दिया.
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