आई है नैहर
हो आरूढ़
बादलों के रथ पर
बरखा रानी.................
धरा जननी
व्यथित शुष्क
पुत्री विरह में
पवन सखी लाए
संवाद लाडो के
आगमन का………..
मुस्काई धरा
तत्पर भई
पाने सुख
आतम्जा स्वागत का..........
इंद्रधनुष का
सतरंगा
हार गले में
विद्युत करघनी
सजी कटी पर
बूंदे करे झंकार
पायलसी
आई पीहर
लाडली कर
अनुपम शृंगार.................
जननी ने भर
आलिंगन
किया मिलन
स्वापुत्री से
खिल उठी
jhulsi काया
हर्ष चहुन दिखी जो छाया.................
सपने सोये जाग गये
निर्भय मयूर
ताने छतरि
वन उपवन में
नाच गये...............
हो आरूढ़
बादलों के रथ पर
बरखा रानी.................
धरा जननी
व्यथित शुष्क
पुत्री विरह में
पवन सखी लाए
संवाद लाडो के
आगमन का………..
मुस्काई धरा
तत्पर भई
पाने सुख
आतम्जा स्वागत का..........
इंद्रधनुष का
सतरंगा
हार गले में
विद्युत करघनी
सजी कटी पर
बूंदे करे झंकार
पायलसी
आई पीहर
लाडली कर
अनुपम शृंगार.................
जननी ने भर
आलिंगन
किया मिलन
स्वापुत्री से
खिल उठी
jhulsi काया
हर्ष चहुन दिखी जो छाया.................
सपने सोये जाग गये
निर्भय मयूर
ताने छतरि
वन उपवन में
नाच गये...............
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