Friday, March 13, 2009

रिश्तों का फलसफा

शमा बुझी
आग चली गई
सुराही टूटी
पानी बह गया
फूल गिरा
महक रह गई
ख्वाब टूटा
एहसास रह गया;

रिश्तों का फलसफा
अजीब है मेरे दोस्त !
कहीं मुंह मुड़ते ही
भुला दिया जाता है
कहीं बिछुड़ने पर
यादों की गहरायी में
बसा लिया जाता है........

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