Monday, January 25, 2010

पवन....

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मदमस्त
पवन ने
छूकर
तुम को
आहिस्ता से
छुआ था
मुझ को......
एहसास
तुम्हारे
महसूस
हुए थे,
अंतर की
गहरायी में
नैसर्गिक सा
प्रिये !
खिलखिलाते हुए
पाया था
तुझको.....

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