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तेरे मिजाज़ नाजुक है
मेरी परवाज़ नाज़ुक है
चलो हम चाँद से कह दें
हमारी रात नाज़ुक है.
के मेरे साज़ नाज़ुक है
तेरी आवाज़ नाज़ुक है
ना कोई तान अब छेड़ो
के ये लम्हात नाज़ुक है
चलो हम चाँद से कह दें
हमारी रात नाज़ुक है.
मेरे एहसास नाज़ुक है
तेरी हर सांस नाज़ुक है
कैसी बाज़ी है शतरंज की
शेह और मात नाज़ुक है
चलो हम चाँद से कह दें
हमारी रात नाज़ुक है.
फूल की ज़ात नाज़ुक है
मेरी हर बात नाज़ुक है
ज़माने से जुदा है ये
हमारा साथ नाज़ुक है
चलो हम चाँद से कह दें
हमारी रात नाज़ुक है.
हमारा इश्क नाज़ुक है
महकती मुस्क नाज़ुक है
अब बस करो जाना
तुम्हारे अश्क नाज़ुक है
चलो हम चाँद से कह दें
हमारी रात नाज़ुक है.
तेरे मिजाज़ नाजुक है
मेरी परवाज़ नाज़ुक है
चलो हम चाँद से कह दें
हमारी रात नाज़ुक है.
{"अरे मल्लाह बुला कश्ती हमें उस पार जाना है " की तर्ज़ पर गुनगुना के देखिये जरा)
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