Saturday, January 16, 2010

फूट आयी है कोंपलें .......(आशु रचना)

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फूट आयी है
कोंपलें
फिर
शाख पर,
आलम सारा
'श्याम' रंग
हो आया है,
साँसों में
छुपा है वो
धडकनों में
समाया है ,
बरस रहा है
प्रेम रस
हरसू ,
बना
इश्क मेरा
सरमाया है,
खुशबू ही
खुशबू है
मेरे गुलशन में
मेरा हर लम्हा
महकाया है.....

(श्याम रंग से आशय कृष्ण प्रेम में रंग जाने से है)

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