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फूट आयी है
कोंपलें
फिर
शाख पर,
आलम सारा
'श्याम' रंग
हो आया है,
साँसों में
छुपा है वो
धडकनों में
समाया है ,
बरस रहा है
प्रेम रस
हरसू ,
बना
इश्क मेरा
सरमाया है,
खुशबू ही
खुशबू है
मेरे गुलशन में
मेरा हर लम्हा
महकाया है.....
(श्याम रंग से आशय कृष्ण प्रेम में रंग जाने से है)
फूट आयी है
कोंपलें
फिर
शाख पर,
आलम सारा
'श्याम' रंग
हो आया है,
साँसों में
छुपा है वो
धडकनों में
समाया है ,
बरस रहा है
प्रेम रस
हरसू ,
बना
इश्क मेरा
सरमाया है,
खुशबू ही
खुशबू है
मेरे गुलशन में
मेरा हर लम्हा
महकाया है.....
(श्याम रंग से आशय कृष्ण प्रेम में रंग जाने से है)
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