जहाँ भी दोस्ती/प्रेम होता है, अक्सर सम्बन्धों की बातें कर के एक अंदरूनी सूकून का आनन्द लिया जाता है. वह अक्सर कहा करती थी :
# # #
सही नहीं है
यह कि
सम्बन्ध
कच्चे धागों से
होतें हैं,
वे तो
लोहे की
सलाखों की
तरह
गड़े होतें है
और
सुख की जगह
कहीं अधिक
दुःख के
कारण
होतें है.
___________________________________________________________________
कहा करता था मैं :
# # #
दिए जाने से
नाम,
गड़ जातें है
सम्बन्ध
सलाखों जैसे,
ना तो रहता है
डर खोने का
और
ना ही रहती
तमन्ना
पाने की भी,
रहने दो ना
अनाम
इन संबंधों को,
संभालेंगे इन्हें
हम
मिलकर,
कच्चे धागों
की
तरहा...
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सही नहीं है
यह कि
सम्बन्ध
कच्चे धागों से
होतें हैं,
वे तो
लोहे की
सलाखों की
तरह
गड़े होतें है
और
सुख की जगह
कहीं अधिक
दुःख के
कारण
होतें है.
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कहा करता था मैं :
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दिए जाने से
नाम,
गड़ जातें है
सम्बन्ध
सलाखों जैसे,
ना तो रहता है
डर खोने का
और
ना ही रहती
तमन्ना
पाने की भी,
रहने दो ना
अनाम
इन संबंधों को,
संभालेंगे इन्हें
हम
मिलकर,
कच्चे धागों
की
तरहा...
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