Tuesday, March 16, 2010

सितारे आसमां के.......

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मत जलाओ
तुम
अपने दीये को,
झुलस ना जाये
जिस्म
इस
अधघायल
सांझ का,
छू लिया था
बदन
जिसका
अधबुझे
अंगार :
अस्त होते
सूरज ने
और
दे डाले थे
अनगिनत
फफोले,
ना जाने क्यों
पुकारता है
जिन्हें
बेहिस इन्सां,
"सितारे आसमां के ....."

(बेहिस=संवेदनहीन/चेतनाहीन)

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