Sunday, March 21, 2010

सुर....

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सात सुर
होते हैं
परे,
लिंग,
रंग,
जात,
मुल्कों,
रिवाजों,
रस्मों,
फिरकों,
रसूख
और
हैसियत से.....

साज़ और
आवाज़ का
मीठास
बचा सकता है
जहां को
हैवानियत से....

मोसिकी ही
वो शै है
जो मिला
सकती है
इन्सां को
इंसानियत से....

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