Saturday, May 29, 2010

रिश्तों का फलसफा.....

शम्मा
बुझी
आग
चली गई,
सुराही
टूटी
पानी
बह गया,
फूल गिरा
महक
रह गयी,
ख्वाब टूटा
एहसास
रह गया;

रिश्तों का
फलसफा
अजीब है
मेरे दोस्त !
कहीं मुंह
मुड़ते ही
भूला
दिया जाता है
कहीं
बिछुड़ने पर
यादों ही
गहरायी में
बसा
लिया
जाता है........

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