Thursday, May 20, 2010

पूजा मेरे स्वयम की....

सूर्योदय से
सूर्यास्त तक
मेरे प्रयासों में
होती है

शामिल

प्रतीक्षा
रात की...

गुदगुदे
बिस्तर पर
सो जाता हूँ
मूंद कर
कोमलता से
आँखे अपनी,
चले आते हैं
सपने
बन कर
साथी मेरे,
सहलाने
उन पीडाओं को
जो पाई होती है
मैने
जागते हुए
जग के साथ
दिन
बिताते हुए...

स्वच्छता
सफ़ेद चद्दर
सफ़ेद बिस्तर की
है मंदिर मेरा,
होती है
जिसमें
पूजा
मेरे स्वयम की
द्वारा मेरे ही...

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