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(रोजाना की जिन्दगी में आप और हम बहुत कुछ observe करतें हैं. Observation करीब करीब हम सभी के होतें हैं. इस series का नाम ‘Observation series’ देना चाहता हूँ अर्थात :’प्रेक्षण श्रृंखला’. बहुत छोटे छोटे observations को शब्दों में पिरो कर आप से बाँट रहा हूँ……नया कुछ भी नहीं है इन में बस आपकी-हमारी observe की हुई बातें है सहज स़ी…साधारण स़ी.)आप पढ़ चुके हैं इस श्रृंखला की कुछ कवितायेँ इस से पूर्व भी.
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वो कहते थे:
दोस्त ! तुम-हम एक हैं
जो तुम्हारा है वह मेरा है
जो मेरा है वह तुम्हारा है
यार ! सब कुछ बस अपना है.
मैंने अनुभव किया :
ऐ दोस्त !
जब तक मैंने
किया स्वीकार
मेरी हर चीज को
तुम्हे
अपना समझते हुए,
तुम ने निभाया था
लौकिक-व्यवहार
मुझ से
सोचा था
जिस दिन
मैंने:
‘तुम्हारा’ भी ‘मेरा’ है
तू ने
बना दिया था
पराया मुझको....
तब जाना था
मैं ने
भूल थी वो
मेरी,
मेरे लिए थे
तुम दोस्त,
और
तुम्हारे लिए
मैं था
एक ‘यूज एंड थ्रो’
वस्तु....
क्या होते है
मायने
दोस्ती के…..?
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