Friday, September 10, 2010

कैसा झोलम झोल...

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कैसा है झोलम झोल रे
साधो !
कैसा झोलम झोल...

महँगी तिजोरी
सस्ता ताला
रकम रतन का है
रखवाला
किसका कितना मोल रे
साधो !
कैसा झोलम झोल..

चाभी छोटी
मोटा ताला
मालिक ने
बांधि कमर संभाला
इसमें कैसी पोल रे
साधो !
कैसा झोलम झोल...

कहे हथौड़ा
सुन री कुंजी
मैं हूँ भारी
तू टट- पुन्जी
दीन्ही तिजोरी खोल रे
साधो !
कैसा झोलम झोल....

कहीन चबिया
सुनहूँ हथौड़े
प्रेम की होवे
बतिया निगौड़े
छोट बडन फजूल रे
साधो !
कैसा झोलम झोल...

तू टकराए
मार लगावे
मेरे इशारे
काम करि जावे
यूँ कर देती बंद- खोल रे
साधो !
कैसा झोलम झोल...

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