Monday, August 3, 2009

हुआ दर्पण दिल हमारा है.......

डूब जाना है तुझमें फिर भी, देखें क्यों किनारा है
चलते हैं खुद ही से भगवन, फिर भी तू सहारा है

जब से लौ लागी है तुझमें,हुआ दर्पण दिल हमारा है
तेरे सिवा हो अक्स किसी का, हम को नहीं गवारा है

बिखरे बिखरे से जीवन को, रूप से तू ने संवारा है
जो भी सजा है तन मन में, वो सब ही दिया तुम्हारा है

हवा का ठंडा झोंका है तू , अगन का एक शरारा है
ज्ञान का रोशन दीप है तू, भटकों को एक इशारा है

आजाद हूँ हर शै से मौला, मालिक तू हमारा है
सब के हैं हम प्यारे फिर भी, हम पर तेरा इजारा है

No comments:

Post a Comment