मिट गए थे
अश्रुधारा में
नयनों के
सतरंगे स्वप्न,
आ गए थे
सम्मुख
कटु सत्य
जीवन के,
है जब तक
अस्तित्व
पलकों की ओट का
कैसे टिकेंगे
मन के चितेरे के
कच्चे रंग............
Mit gaye the
Ashrudhaara men
Nayanon ke
Satrange swapan,
Aa gaye the
Sammukh
Jeevan ke
Katu satya,
Hai jab tak
Astitva
Palkon ki aot ka
Kaise tikenge
Man ke chitere ke
Kachche rang.........
अश्रुधारा में
नयनों के
सतरंगे स्वप्न,
आ गए थे
सम्मुख
कटु सत्य
जीवन के,
है जब तक
अस्तित्व
पलकों की ओट का
कैसे टिकेंगे
मन के चितेरे के
कच्चे रंग............
Mit gaye the
Ashrudhaara men
Nayanon ke
Satrange swapan,
Aa gaye the
Sammukh
Jeevan ke
Katu satya,
Hai jab tak
Astitva
Palkon ki aot ka
Kaise tikenge
Man ke chitere ke
Kachche rang.........
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