Wednesday, August 12, 2009

भजो रे जड़मति ! गोविन्द नाम भजो......


भजो रे जड़मति
गोविन्द नाम भजो......
अन्तकाल जब आवे रे बन्दे
शास्त्र रटन ना बचावे रे बन्दे
गोविन्द नाम भजो
भजो रे जड़मति......गोविन्द नाम भजो.

तजो संग्रहण*की तृष्णा को
करो जागृत तुम सुबुध्दी को
पा श्रम का प्रतिफल रे बन्दे
प्रसन्न संतुष्ट रहो तुम बन्दे
गोविन्द नाम भजो
भजो रे जड़मति......गोविन्द नाम भजो.

देह यौवन अस्थायी मात्र है
समझो बस मदिरा के पात्र हैं
विचार सतत उच्चार रे बन्दे
मोहाविष्ट ना हो जाना रे बन्दे
गोविन्द नाम भजो
भजो रे जड़मति......गोविन्द नाम भजो.

नीर चपल ज्यों कमल पत्र पर
जीवन अस्थिर विश्व पटल पर
अंहकार रोग प्रबल रे बन्दे
दुःख आहत संसार रे बन्दे
गोविन्द नाम भजो
भजो रे जड़मति......गोविन्द नाम भजो.

जब तक प्राण समाहित देह में
कुशल क्षेम ये शब्द है जग में
प्राण निकासी जिस पल हुई है
अर्धांगिनी**भी भयभीत भई है
गोविन्द नाम भजो
भजो रे जड़मति......गोविन्द नाम भजो.

बालक आसक्त है निज क्रीड़ा में
वृद्ध सिक्त है निज पीड़ा में
सब कोई डूबे यहाँ वहां रे
हो प्रभु से संलग्न रे बन्दे
गोविन्द नाम भजो
भजो रे जड़मति......गोविन्द नाम भजो.

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