(Vishay aur prashan naye nahin hai.....maine swayam ne bhi apni rachnaon men aise patron par bahut kuchh kaha hai unko prateek ke roop men prayog karte hue, magar yah pahloo bhi yatharath hai.....aek vimarsh men yeh bindu kisi manishi ne vyakt kiye the...mere dil aur dimag ko chhu gaye...aaj kisi bat chit ke darmiyan sandarbh aaya, aap se share kar raha hun......)
क्या मिलना है
कुरेदने से
विगत के
कूड़े को........?
कहाँ मिलेगा
शम्बूक का सर
अंगूठा एकलव्य का ?
राम और द्रोण
कहलायें हैं
पुरुषोत्तम
नरोत्तम
अपने अपने
युगों के
परिपेक्ष्य में,
क्या होगा
हासिल
कसने से उन्हें
आज की कसौटी पर ?
झुठला देगा
आने वाला समय
आज के
आकलन को भी ,
कभी ना निपटेगा
ऐसे..............
कुंठाओं का
अंतहीन विवाद........
क्या मिलना है
कुरेदने से
विगत के
कूड़े को........?
कहाँ मिलेगा
शम्बूक का सर
अंगूठा एकलव्य का ?
राम और द्रोण
कहलायें हैं
पुरुषोत्तम
नरोत्तम
अपने अपने
युगों के
परिपेक्ष्य में,
क्या होगा
हासिल
कसने से उन्हें
आज की कसौटी पर ?
झुठला देगा
आने वाला समय
आज के
आकलन को भी ,
कभी ना निपटेगा
ऐसे..............
कुंठाओं का
अंतहीन विवाद........
so very true....
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