Friday, October 9, 2009

सिंदूरी.....(Ashu Kavita)

...

तुम उदय हुए तब थे सिंदूरी
अस्त समय भी हो सिंदूरी
चेहरे का औज तेरा सिंदूरी
हंसी तेरी खिल रही सिंदूरी
मुस्कानों में रंग सिंदूरी
स्पर्श किया...........
हुए कपोल सिंदूरी
रूठा जो मैं ..........
मिजाज़ तेरा सिंदूरी
बाँहों में है बदन सिंदूरी
मन में सपने भरे सिंदूरी
बात सिंदूरी रात सिंदूरी
स्पंदन आघात सिंदूरी
प्रेम निमंत्रण है सिंदूरी
क्यों ना मिटा दें...........
कृत्रिम दूरी.

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